Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -02-Feb-2023 आंखें हो गई पथराई

शीर्षक-आंखें हो गई पथराई

आंखें हो गई पथराई,
जब छाई करोना की परछाई,
मौत  अपना दामन फैलाई।

अकाल के मुंह में समाया भारत,
नहीं था किसी के पास उपाय,
चारों तरफ था बस मातम।

देखकर यह दृश्य आंखें पथराई,
चारों तरफ लाशें ही लाशें छाई,
कैसी ये बीमारी आई।

देख देख कर ये हाल,
आंखें भी ना कर सकी बयान,
सबका हुआ हाल खराब।

घर से बाहर नहीं रख सके कदम,
सूनी थी हर सड़क,
नहीं कर सकते थे कहीं पहल।

हर जगह जाना हुआ बंद,
हर काम करते बैठकर घर,
करोना का छाया था डर।

लेखिका
प्रियंका भूतड़ा"प्रिया"

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9 Comments

Gunjan Kamal

05-Feb-2023 02:15 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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बेहतरीन सृजन

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बहुत खूब

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